म्यानमार

विश्व-भर से स समारोह

नीचे पूरे देश के अनेकों स्थानों पर बाब के जन्म की द्विशताब्दी के सम्मान में मनाये जा रहे समरोह की झलकियाँ हैं |

म्यानमार

म्यांमार के बहाई आरम्भिक अनुयायी की समाधि का सम्मान करते हुए

20 वीं सदी के मोड़ के आसपास, न्याय और एकता पर स्थापित दुनिया के लिए बहाउल्लाह कि संकल्पना के लिए आकर्षित म्यांमार के पूरे गाँव,दैदनाव, ने 'उनकी' शिक्षाओं को अपनाया और उन्हें अपने जीवन में लागू करना शुरू किया। उस समय हाइफा में रह रहे,अब्दुल-बहा, इस समाचार को सुनकर प्रसन्न हुए और उन्होंने दैदनाव को "उनका गाँव" बताया। इस वर्ष, द्विशताब्दी को सम्मानित करने के लिए, स्थानीय निवासियों ने अपने इतिहास को याद किया, धर्म-भुजा सय्यद मुस्तफा रूमी (1846-1945),जो म्यांमार में पहले बहाईयों में से एक थे, की समाधि को साफ और सुशोभित करने के लिए एकजुट हुए। सय्यद मुस्तफा रूमी ने दो अन्य आरंभिक अनुयायियों के साथ मिलकर, संगमरमर के ताबूत व्यवस्था की थी, जिसे अब्दु-बहा द्वारा मंगाया किया गया था और उस देश के बहाईयों द्वारा बनाया गया था, जिसे पवित्र भूमि पर भेजा जाना था। इस ताबूत मेंअब बाब के पवित्र अवशेष स्थित हैं।